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उतपत्ती 27:28-29
पबितर बाईबल,समकालीन छत्तीसगढ़ी अनुवाद
परमेसर तोला अकास ले ओस अऊ धरती के उत्तम चीज— बहुंत अकन अनाज अऊ अंगूर के नवां मंद देवय। जाति-जाति के मनखेमन तोर सेवा करंय अऊ मनखेमन तोला झुकके दंडवत करंय। तें अपन भाईमन के सुवामी हो जा, अऊ तोर दाई के बेटामन तोला दंडवत करंय। जऊन मन तोला सराप देवंय, ओमन खुद सराप पावंय अऊ जऊन मन तोला आसीस देवंय, ओमन आसीस पावंय।”
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उतपत्ती 27:36
एसाव ह कहिस, “का ओकर नांव याकूब सही नइं रखे गे हे? येह दूसर बार ए, ओह मोर ले फायदा उठाय हवय: ओह मोर पहिलऊठा के अधिकार ला ले लीस, अऊ अब ओह मोर आसीस ला घलो ले गीस!” तब ओह अपन ददा ले पुछिस, “का तेंह मोर बर कोनो आसीस नइं रखे हस?”
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उतपत्ती 27:39-40
ओकर ददा इसहाक ह ओला जबाब दीस, “तोर निवास ह धरती के उपजाऊ भुइयां ले दूरिहा होही, ऊपर के अकास के ओस ओमा नइं पड़ही। तेंह तलवार के बल म जिनगी जीबे अऊ तेंह अपन भाई के सेवा करबे। पर जब तेंह बियाकुल हो जाबे, त तेंह ओकर सेवा करई छोंड़ देबे।”
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उतपत्ती 27:38
एसाव ह अपन ददा ला कहिस, “हे मोर ददा, का तोर करा सिरिप एके ठन आसीस हवय? हे मोर ददा, मोला घलो आसीस दे!” तब एसाव चिचिया-चिचियाके रोईस।
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