उहइगुनेइ तोहेसब पुनु जग्लइ बोसउ, किकेकने घरक मालिक ब्यार, आधा रातयँ, भाले बास्ते, अथबा बेहेन कोनो बेला अइताहात्, तोहेसब नाजानउ। नत्र उसे अन्चक्लइ अइतेखना तेउह्रासब्के निन्दाइराख्ल भेट्बक। मोइ तेउह्रासब्के जिति कहल बाटम, उसे सभइके कहतम् ‘जग्लइ बोसउ।’”