1
रोमियां 14:17-18
ओङ राजपूत
कांकि नरीकारा चा राज़ खाणे-पीणे कोनी छै, पर धार्मिकता ते शान्ति ते वा खुशी छै जको पवित्र आत्मा लारे हुवे। जको कुई ये रीति लारे मसीह ची सेवा करे, ऊं नरीकारा नु भावे ते इन्साने ओचा कद्दर करी।
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रोमियां 14:8
कांकि अगर अम्ही जीते छिऊं तां, प्रभु चे वास्ते जीते छिऊं, ते अगर मरु तां, प्रभु चे वास्ते ही मरु, बल्ति अम्ही जिऊं जा मरु, अम्ही प्रभु चे ही छिऊं।
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3
रोमियां 14:19
ऐवास्ते अम्ही वां बाता ची कोशिस करु, जाये लारे शान्ति मिलो ते हेके-ङुजे ची आत्मिक बढोतरी हो।
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4
रोमियां 14:13
ऐवास्ते उग़ते कनु अम्ही हेके-ङुजे उपर दोष ना लाऊं, पर तम्ही ईं ठानती गिहा कि कुई वी आपणे भावां चे सामणे ठेस जा ठोकर खाणे ची वजह ना मेहलो।
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5
रोमियां 14:11-12
कांकि पवित्रशास्त्रा मां लिखले आले छै, “प्रभु किहे, ‘मनु माये जीवन ची कसम छै, कि हर-हेक गोङा माये सामणे टिकी, ते हर-हेक जुबान नरीकारा नु अंगीकार करी।’ ” ते बल्ति, अम्चे महु हर-हेक नरीकारा नु आपणा-आपणा लेखा जोखा ङिही।
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6
रोमियां 14:1
जको विश्वासा मां कमजोर छै, ओनु आपणी संगति मां गेहती गिहा, पर ओचे विचारा उपर बेहस-बाजी करने जरुरी कोनी।
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7
रोमियां 14:4
तु कूण छी जको ङुजे चे सेवक उपर दोष लावी? ओचे मजबूत रेहणे जा ढेती जाणे ओचे मालिका कनु ही सम्बन्ध राखे। बल्कि ओ मजबूत ही करला जई, कांकि प्रभु ओनु मजबूत कर सग़े।
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