तुमी मा कोन असो सेत, जोन मीनार बनवानो चाव्हासे, अखीन पुढा घर मा बस के, ना खरचा को अन्दाज हिसाब नही करयेत। अखीन यो ना चोवेत, का वोको जवर केतरा रुपया सेत। कही असो ना होयेत, का पाया डाकन को मघा, घर को काम अधूरो छोड़ देहेत, अखीन चोवन वोरो, मजाक उड़ावत कहेत, “यो घर बनान को लायक भी नाहती।” यो मानूस ना घर बनान काजी नीव डाखीस, पर पूरो करन को लायक भी नहाय।