जब कबहुन तुम उपास करथा, ता ढोंगहन के जसना तुम्हर मुंह उदास झइ रहै अउ उन अपन मुंह के इहैनिता उतारै रथै, ताकि दूसर मनसे उनखर उपास के जानै, मै तुम्हर लग सही कथो, कि अपन फडुहा पाय चुके हबै। पय जब तुम उपास करथा, ता अपन मूड हे तेल लगाबा अउ अपन मुंह के धो लेया, जेखर लग मनसेन के नेहको, पय केबल तुम्हर स्वरग के बाफ के जउन गुप्त हबै तै उपास हबस, तब तुम्हर जउन गुप्त कामन के देखथै तोके फडुहा देही।