थे आपगो मन बदळगे दरखतां गी तरियां आच्छा फळ ल्याओ अर बानै झिड़क्या कै थे आपगै मन में घमण्ड ना करो, सागै थे इंया ना सोचो कै अबरहाम झिको धरमी आदमी हो बिंगै घराणै गै होण गै खातर म्हे बच जांवांगा, क्यूंकै मैं थानै साची केऊं कै परमेसर थानै नास कर'गे अबरहाम गै खातर तो आं पथरां ऊं बी उळाद पैदा कर सकै पण परमेसर गै न्याय ऊं कोई बच कोनी सकै।