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रोमियों 8:28
उर्दू हमअस्र तरजुमा
और हम जानते हैं के जो लोग ख़ुदा से महब्बत रखते हैं और उस के इरादे के मुताबिक़ बुलाए गये हैं, ख़ुदा हर हालत में उन की भलाई चाहता है।
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रोमियों 8:38-39
क्यूंके मुझे यक़ीन है के न मौत न ज़िन्दगी, न फ़रिश्ते न शैतान के लश्कर, न हाल की चीज़ें न मुस्तक़बिल की और न कोई क़ुदरतें, न बुलन्दी न पस्ती न कोई और काइनात की चीज़ें हमें ख़ुदा की उस महब्बत से जुदा न कर सकेगी जो हमारे अलमसीह ईसा में है।
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रोमियों 8:26
इसी तरह रूह हमारी कमज़ोरी में हमारी मदद करता है। हम तो ये भी नहीं जानते के किस चीज़ के लिये दुआ करें लेकिन पाक रूह ख़ुद ऐसी आहें भर-भर कर हमारी शफ़ाअत करता है के लफ़्ज़ों में उन का बयान नहीं हो सकता।
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रोमियों 8:31
पस हम इन बातों के बारे में और क्या कहें? अगर ख़ुदा हमारी तरफ़ है तो कौन हमारा मुख़ालिफ़ हो सकता है?
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रोमियों 8:1
चुनांचे, जो अलमसीह ईसा में हैं अब उन पर सज़ा का हुक्म नहीं
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रोमियों 8:6
जिस्मानी ग़रज़ मौत है लेकिन रूहानी ग़रज़ ज़िन्दगी और इत्मीनान है।
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रोमियों 8:37
फिर भी इन सब हालतों में हमें अपने महब्बत करने वाले के वसीले से बड़ी शानदार फ़त्ह हासिल होती है।
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रोमियों 8:18
में जानता हूं के ये दुख दर्द जो हम अब सहा रहे हैं उस जलाल के मुक़ाबले में कुछ भी नहीं जो हम पर ज़ाहिर होने को है।
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रोमियों 8:35
कौन हमें अलमसीह की महब्बत से जुदा करेगा? क्या मुसीबत या तंगी? ज़ुल्म या क़हत, उर्यानी या ख़तरा या तलवार?
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रोमियों 8:27
और वह जो हमारे दिलों को परखता है पाक रूह की ग़रज़ को जानता है क्यूंके पाक रूह ख़ुदा की मर्ज़ी के मुताबिक़ मुक़द्दसीन की शफ़ाअत करता है।
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रोमियों 8:14
इसलिये के जो ख़ुदा के रूह की हिदायत पर चलते हैं वोही ख़ुदा के बेटे हैं।
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रोमियों 8:5
जो लोग जिस्म के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते हैं उन के ख़्यालात नफ़्सानी ख़ाहिशात की तरफ़ लगे रहते हैं। लेकिन जो लोग पाक रूह के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते हैं उन के ख़यालात रूहानी ख़ाहिशों की तरफ़ लगे रहते हैं।
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रोमियों 8:32
जिस ने अपने बेटे को बचाए रखने की बजाय उसे हम सब के लिये क़ुर्बान कर दिया तो किया वह उस के साथ हमें और सब चीज़ें भी फ़ज़ल से अता न करेगा?
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रोमियों 8:16-17
पाक रूह ख़ुद हमारी रूह के साथ मिल कर गवाही देता है के हम ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हैं। और अगर फ़र्ज़न्द हैं तो वारिस भी हैं यानी ख़ुदा के वारिस और अलमसीह के हम मीरास, बशर्ते के हम उन के साथ दुख उठायें ताके उन के जलाल में भी शरीक हों।
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रोमियों 8:7
इसलिये के जिस्मानी ग़रज़ ख़ुदा की अदावत करती है; वह न तो ख़ुदा की शरीअत के ताबे है न हो सकती है।
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रोमियों 8:19
चुनांचे सारी ख़िल्क़त बड़ी आरज़ू के साथ इस इन्तिज़ार में है के ख़ुदा अपने फ़र्ज़न्दों को ज़ाहिर करे।
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रोमियों 8:22
हम जानते हैं के सारी ख़िल्क़त आज तक कराहती है गोया के वह दर्देज़ेह में मुब्तिला है।
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