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मरक़ुस 9:23
उर्दू हमअस्र तरजुमा
“ ‘अगर हो सके तो’?” हुज़ूर ईसा ने कहा। “जो शख़्स ईमान रखता है उस के लिये सब कुछ मुम्किन हो सकता है।”
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मरक़ुस 9:24
फ़ौरन ही लड़के के बाप ने चीख़ कर कहा, “मैं ईमान लाता हूं; आप मेरी बेएतक़ादी पर क़ाबू पाने में मेरी मदद कीजिये!”
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मरक़ुस 9:28-29
हुज़ूर ईसा जब घर के अन्दर दाख़िल हुए, तो तन्हाई में उन के शागिर्दों ने उन से पूछा, “हम इस बदरूह को क्यूं नहीं निकाल सके?” हुज़ूर ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “इस क़िस्म की बदरूह दुआ के सिवा किसी और तरीक़े से नहीं निकल सकती।”
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मरक़ुस 9:50
“नमक अच्छी चीज़ है, लेकिन अगर नमक की नमकीनी जाती रहे, तो उसे किस चीज़ से नमकीन किया जायेगा? अपने में नमक रखो, और आपस में सुलह से रहो।”
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मरक़ुस 9:37
“जो कोई मेरे नाम से ऐसे बच्चे को क़बूल करता है तो वह मुझे क़बूल करता है; और जो कोई मुझे क़बूल करता है तो वह मुझे नहीं बल्के मेरे भेजने वाले को क़बूल करता है।”
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मरक़ुस 9:41
मैं तुम से सच कहता हूं, जो कोई भी तुम्हें मेरे नाम पर एक प्याला पानी पिलाता है क्यूंके तुम अलमसीह के हो वह यक़ीनन अपना अज्र नहीं खोयेगा।
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मरक़ुस 9:42
“जो शख़्स मुझ पर ईमान लाने वाले इन छोटे बच्चों में से किसी के ठोकर खाने का बाइस बनता है तो ऐसे शख़्स के लिये, यही बेहतर है के चक्की का भारी पत्थर उस की गर्दन से लटका कर उसे समुन्दर में फेंक दिया जाये।
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मरक़ुस 9:47
और अगर तुम्हारी आंख तुम्हारे लिये ठोकर का बाइस बनती है तो, उसे निकाल दो। क्यूंके कान होकर ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल होना दो आंखें होते जहन्नुम की आग में डाले जाने से बेहतर है
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