1
लूक़ा 17:19
उर्दू हमअस्र तरजुमा
तब हुज़ूर ईसा ने उस से कहा, “उठ और रुख़्सत हो, तेरे ईमान ने तुझे शिफ़ा दी है।”
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लूक़ा 17:4
अगर वह एक दिन में सात दफ़ा भी तेरे ख़िलाफ़ गुनाह करे और सातों दफ़ा तेरे पास आकर कहे के, ‘मैं तौबा करता हूं,’ तो तू उसे मुआफ़ कर देना।”
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3
लूक़ा 17:15-16
लेकिन उन में से एक ये देखकर के वह शिफ़ा पा गया, बुलन्द आवाज़ से ख़ुदा की तम्जीद करता हुआ वापस आया और हुज़ूर ईसा के क़दमों में मुंह के बल गिरकर उन का शुक्र अदा करने लगा। ये आदमी सामरी था।
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4
लूक़ा 17:3
पस ख़बरदार रहो। “अगर तेरा भाई या बहन गुनाह करता है तो उसे मलामत कर और अगर वह तौबा करे तो उसे मुआफ़ कर दे।
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5
लूक़ा 17:17
हुज़ूर ईसा ने उस से पूछा, “क्या दसों कोढ़ से पाक साफ़ नहीं हुए? फिर वह नौ कहां हैं?
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6
लूक़ा 17:6
ख़ुदावन्द ने कहा, “अगर तुम्हारा ईमान राई के दाने के बराबर भी होता, तो तुम इस शहतूत के दरख़्त से कह सकते थे, ‘के यहां से उखड़ जा और समुन्दर में जा लग,’ तो वह तुम्हारा हुक्म मान लेता।
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7
लूक़ा 17:33
जो कोई मेरी ख़ातिर अपनी जान बाक़ी रखने की कोशिश करेगा वह उसे खोयेगा और जो कोई उसे खोयेगा, उसे बचाएगा।
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8
लूक़ा 17:1-2
तब हुज़ूर ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा: “ये नामुम्किन है के लोगों को ठोकरें न लगें लेकिन अफ़सोस है उस शख़्स पर जो इन ठोकरों का बाइस बना। उस के लिये यही बेहतर था के चक्की का भारी सा भारी पत्थर उस की गर्दन से लटका कर उसे समुन्दर में फेंक दिया जाता ताके वह इन छोटों में से किसी के ठोकर खाने का बाइस न बनता।
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9
लूक़ा 17:26-27
“और जैसा हज़रत नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही इब्न-ए-आदम के दिनों में होगा। के लोग खाते पीते थे और शादी ब्याह नूह के लकड़ी वाले पानी के जहाज़ में दाख़िल होने के दिन तक करते कराते थे। फिर सैलाब आया और उस ने सब को हलाक कर दिया।
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