एसे हर समय सतरक रहा, काहेकि तूँ पंचे नहीं जनते आह्या, कि घर के मालिक कबय अई, साँझिके अई, इआ कि आधी रात अई, इआ कि मुरगा बोलँइ के समय अई, इआ कि भिनसरहय अई। अइसा न होय कि मालिक अचानक आइके तोंहईं सोबत पाबय। अउर जउन बात हम तोंहसे कहेन हय, उहय बात सबसे कहित हएन: सतरक रहा!”