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मरकुस 6:31
गढवली नयो नियम
किलैकि भौत लोग आंणा-जांणा छा अर ऊं तैं खांणु खांण को भि बगत नि मिलणु छो यीशु ल ऊंमा बोलि, “आवा की एकांत जंगल मा जै के जरा आराम करुला।”
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मरकुस 6:4
यीशु ल ऊंमा बोलि, कि परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो कु अपड़ा देश अर अपड़ा कुटुम्ब अर अपड़ा घौर तैं छोड़ी के ऊंको सब जगह आदर हूंद।
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मरकुस 6:34
जब यीशु नाव बट्टी उतरी, वेला एक बड़ी भीड़ देखि अर ऊं पर तरस खै किलैकि उ ऊं ढिबरों का जन छा जौं को कुई देखभाल कन वलो नि छो अर उ, ऊं तैं पिता परमेश्वर का राज्य बट्टी भौत सैरी बात सिखांण लगि गै।
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मरकुस 6:5-6
अर ऊंका अविश्वास का कारण, और कुछ सामर्थ का काम का चमत्कार नि कैर साकी यीशु ऊं पर हथ रख कर भस कुछ ही लुखुं तैं ठिक नि कैरी साकी। अर यीशु ऊंका अविश्वास तैं देखि के भैंचक हवे के चारों तरपां गौं बट्टी दुसरा गौं मा वचन की शिक्षा दींद फिरी।
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मरकुस 6:41-43
यीशु ल ऊं पाँच रुट्टियुं तैं अर द्वी माछों तैं अपड़ा हथ मा लींनि अर स्वर्ग जनै देखि के परमेश्वर कु धन्यवाद कैरी अर रुट्टियुं तैं टुकड़ों मा तोड़ी-तोड़ी के चेलों तैं दींद गै कि उ लुखुं तैं परोसुनु अर उ द्वी माछा भि ऊं सभियूं मा बांटि दींनि। अर सभि खै के तृप्त हवे गैनी अर जब ऊं सभियूं ल खांणु खएली छो तब चेलों ल रुठी अर माछों का बारह भुरयां ठुपरा उठैनि।
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