ईं वाते ईसू हण को कोड़ो बणान हाराई ढान्ढा-ढोर अन गारा ने मन्दर का चोकऊँ बारणे काड़ दिदा, अन लेण-देण करबावाळा का रिप्या-कोड़ी बखेर दिदा, अन वाँका तकता उळट-पुळट कर दिदा। अन परेवड़ा ने बेचबावाळा ने तापड़ता तका क्यो, “अणाने अटूँ ले जावो। मारा बाप का घर ने वोपार को घर मती बणावो।”