कोई चीज का पलटा मं मनख खुदका पराण दे सक्अ छ कांई? अर कोई ई व्यभिचारी अर पापी जमाना मं म्हारा नांऊ सुं अर परमेसर का बचन की बजेसुं सरमाव्अ तो, मं मनख को छोरो बी जद्या बा पवितर सरगदूता की लार परम-पिता की महमा सुं आंउलो, तो म बी वां मनखा सुं मूंडो फेर ल्युलो।”