“धनै छो थे ज्दया मनख म्हारी बजेसुं थांको नरादर करअ छ, थान्अ दुख देव्अ छ अर थांका बिरोध मं झूंट्याई बाता बणाव्अ छ। ज्दया राजी होर मोज करज्यो, क्युं क सरग मं थान्अ घणुसारो फळ मल्अलो। जिसुं क वे वां परमेसर की ओड़ी सुं बोलबाळा न्अ ज्यो थासुं पेली छा अस्यान'ई सताया छा।”