“म बा खातरई अरदास कोनी करूं पण बा ताँई बी कर्यो हूँ, जखा बाकी सीख की बजेऊँ मेर प बिस्वास करसी। ओ परम-पिताजी, म चाऊँ हूँ क बा सगळा म एको होवै, ठिक बंय्यांई जंय्यां म थारै म ओर थे मेर म हो। बे बी आपणा म एक होवीं जिऊँ क इ जगत का मिनख बिस्वास करै क थे मनै भेज्या हो।