जब उ जात रहा तउ पचे आँखी पसारि के ओका निहारत रहेन। तबहिं फउरन सफेद कपड़ा पहिरिके दुइ मनई ओकरे समन्वा आइके ठाड़ भएन। अउर बोलेन, “अरे गलीली मनइयो। तू पचे हुवाँ ठाड़ भवा टकटकी काहे लगाए बाट्या? इ ईसू तोहरे बीच स सरगे मँ ऊपर उठाइ लीन्ह गवा, जइसे तू ओका सरगे मँ जात देख्या, वइसे ही उ फिन वापिस लौटि आई।”