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फिलिप्पियों 4:6
पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)
किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ।
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फिलिप्पियों 4:7
तब परमेश्वर की शान्ति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
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फिलिप्पियों 4:8
इसलिये हे भाइयो, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, अर्थात् जो भी सद्गुण और प्रशंसा की बातें हैं उन पर ध्यान लगाया करो।
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फिलिप्पियों 4:13
जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ।
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फिलिप्पियों 4:4
प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूँ, आनन्दित रहो।
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फिलिप्पियों 4:19
मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है, तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।
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फिलिप्पियों 4:9
जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण कीं, और सुनीं, और मुझ में देखीं, उन्हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
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फिलिप्पियों 4:5
तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो। प्रभु निकट है।
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फिलिप्पियों 4:12
मैं दीन होना भी जानता हूँ और बढ़ना भी जानता हूँ; हर एक बात और सब दशाओं में मैं ने तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना–घटना सीखा है।
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फिलिप्पियों 4:11
यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूँ; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूँ; उसी में सन्तोष करूँ।
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