महापुरोहित एल्याशीब अपने सहयोगी पुरोहितों के साथ शहरपनाह की मरम्मत करने को तैयार हुआ। उन्होंने ‘मेष-द्वार’ को बनाया। उन्होंने उसकी प्रतिष्ठा कर उसमें दरवाजे लगाए। तत्पश्चात् उन्होंने शहरपनाह की ‘हम्मेआ-बुर्ज’ तथा ‘हननेल-बुर्ज’ तक प्रतिष्ठा की, और उसको बनाया।