परमेसर ह ओ छोकरा के रोये के अवाज ला सुनिस, अऊ परमेसर के स्वरगदूत ह स्वरग ले नरियाके हाजिरा ला कहिस, “हे हाजिरा, का बात ए? झन डर; जऊन करा तोर बेटा हवय, उहां ले ओकर रोये के अवाज ह परमेसर करा हबरे हवय। उठ अऊ अपन बेटा ला अपन हांथ म उठा, काबरकि में ओकर दुवारा एक बड़े जाति बनाहूं।”