अर ढुंग्याण जमीन पर पोड़्यूं बीज का दगड़ा मा जु कुछ भि ह्वे, उ इन च कि कुछ लोग परमेस्वर का वचन तैं सुणी के बड़ी खुशी से स्वीकार त करदिन, मगर ऊ अपणा भितर वचन की जड़ तैं जमण नि देन्दिन, अर वु वचन भि वेमा कुछ बगत तक ही रौन्दु। इलै वचन की वजै से जब कुई भि दुख-तकलीफ या सतौ ऊंका जीवन मा औन्दिन, तब वु लोग तुरन्त बिस्वास करण छोड़ि देन्दिन।